अयोध्या तथा अन्य कविताएँ - यतींद्र मिश्र
इस कविता संग्रह से कवि यतींद्र मिश्र व्यापक ज़मीन पर अपने विचारों के साथ खड़े नज़र आते हैं। उसने अपने समय की आहटों को सफलतापूर्वक पेश की है। प्रस्तुत कविताएँ कवि के व्यक्तिगत समाज व पडोस के जीवन को गहरी अंतर्दृष्टि से विश्लेषित करती हैं । प्रस्तुत कविता संग्रह मुख्य रूप से चार खंडों में विभक्त है। प्रस्तुत खंड कवि के सामाजिक सरोकार से ज़्यादा व्यक्तिगत उलझनों को रेखांकित करता है। प्रस्तुत व्यक्तिगत उलझनों से पाठक आसानी से तादात्म्य हो जाते हैं । जहाँ कवि की रिश्ता उसके समाज से होता हुआ घर, आँगन और लोक से गुजरता है तथा इतिहास, परम्परा और स्मृति से बार- बार सार्थक संवाद करता है। फिर चाहे वह "कविता का रंग' में मीर और मोमिन के बहाने पिता की आत्मीय चर्चा हो, 'कील' में समाज के सबसे निम्नतम व्यक्ति की पीड़ा का स्वर हो अथवा 'झील, पानी, पत्ता और आदमी' में सहमेल की सार्थकता को वाणी देती समाजोन्मुख वैचारिकता, सभी जगह कविता आश्वस्त करती है। 'कविता का रंग' नामक कविता में कवि कविता के रंग की खोज करके अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कव...