और और औरत
आज की नारी स्वतंत्रता की आकांक्षा रखती है, और समाज में अपनी पहचान स्थापित करना चाहती है। साठोत्तरी महिला साहित्यकारों में प्रमुख स्थान रखने वाली कृष्णा अग्निहोत्री ने अपने जीवन के संघर्षों को न केवल ईमानदारी से लिखा, बल्कि उसे समाज के सामने रखा। आत्मकथा के पहले खंड “लगता नहीं है दिल मेरा” में वे कहती हैं, “जीवन तो सभी जीते हैं, परंतु कुछ कहने-सुनने से ही समय की कहानियाँ बनती हैं। बहुत झेला, बहुत भोगा, बहुत सहा… नहीं सहन हुआ तो लिख डाला। लिखने का उद्देश्य किसी को दुख पहुँचाना या लांछित करना नहीं है।”
कृष्णा अग्निहोत्री की आत्मकथा में उनके जीवन की सचाई उजागर होती है, जिसमें नारी के मनोविज्ञान और समाज में उसकी स्थिति को बखूबी दर्शाया गया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पुरुष प्रधान समाज में स्त्री के जीवन के अनेक पहलू दबे हुए हैं और वास्तविकता इससे कहीं अधिक कठोर है। वे उन पर कटाक्ष करती हैं जो एक स्त्री के आदर और प्रेम का दिखावा करते हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है।
कृष्णा जी की आत्मकथा में एक विद्रोही स्वर गूंजता है। उनका बचपन माँ की दयालुता और पक्षपाती व्यवहार से प्रभावित था, जिसने उनके भीतर संघर्ष की भावना को जन्म दिया। उन्हें जीवनभर किसी भी व्यक्ति से वास्तविक प्यार नहीं मिला—न माँ से, न पति से। उन्होंने इस आत्मकथा में दर्शाया है कि नारी के पारिवारिक जीवन पर पुरुष सत्ता का प्रभाव किस प्रकार भारी पड़ता है। एक प्रश्न उत्पन्न होता है—क्या एक स्त्री की नियति सदैव अपमान और शोषण का ही हिस्सा होती है?
स्त्री का शोषण हर रिश्ते में, हर उम्र में होता है। कृष्णा जी के जीवन में उनके भाइयों द्वारा किया गया मानसिक शोषण इस बात का प्रमाण है। घर से निर्वासित होने के बाद कृष्णा जी के पास और कोई विकल्प नहीं था सिवाय भटकने के। उनका यह दर्द भी सामने आता है जब वे लिखती हैं, “मुझे स्वयं आश्चर्य है कि मैं मरी क्यों नहीं?” उनका यह कथन उस अन्याय का प्रतीक है, जिसे समाज ने उनके साथ किया।कृष्णा अग्निहोत्री ने अपनी आत्मकथा में यह भी लिखा कि उन्होंने अपने जीवन के रहस्यों को बिना किसी संकोच के सामने रखा है। वे अपनी आत्मकथा के माध्यम से न केवल एक स्त्री के संघर्ष को, बल्कि समाज की उन संरचनाओं को भी उजागर करती हैं जो नारी को हर कदम पर सीमित करती हैं। वे लिखती हैं, “बहुत निर्भीक। अत्याचार के छोटे से तंत्र को तोड़ने में अग्रणी उत्पीड़ित स्त्री को देख जलने लगती है।”
कृष्णा जी ने यह स्वीकार किया कि उनका पहले विवाह में जो सपना था, वह साकार नहीं हो सका। सत्यदेव अग्निहोत्री से उनके वैवाहिक जीवन में उन अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया गया, जो उन्होंने एक आदर्श जीवनसाथी से की थीं। एक स्त्री केवल भौतिक सुखों से संतुष्ट नहीं हो सकती, वह अपने जीवन साथी से मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुष्टि भी चाहती है। यही कारण था कि कृष्णा जी के जीवन में पहले विवाह के बाद असंतोष और वैचारिक मतभेद उत्पन्न हुए, और यह रिश्ते के टूटने की ओर ले गए।
कृष्णा अग्निहोत्री की आत्मकथा में यह भी स्पष्ट होता है कि एक स्त्री जब अपने जीवन साथी से प्यार और सम्मान की उम्मीद करती है, तो उसका टूटना और असंतुष्ट होना स्वाभाविक है। उनका दूसरा विवाह श्रीकांत जोग से हुआ, जो कि चार बच्चों के पिता थे। लेकिन इस रिश्ते में भी उन्हें वही छल और धोखा मिला। स्त्री के प्रति पुरुषों का दृष्टिकोण कभी भी आदर्श नहीं बन पाया, और इसका परिणाम लेखिका को दुःख और असंतोष के रूप में ही मिला।
कृष्णा जी ने जीवन में कई बार विश्वासघात सहा। उनके जीवन में आए प्रत्येक पुरुष ने उन्हें प्रेम के बदले केवल दुख और पीड़ा दी। आत्मकथा में लेखिका ने यह स्वीकार किया कि जीवनभर वे किसी ऐसे पुरुष की तलाश में रहीं जो उन्हें प्यार और सम्मान दे सके। लेकिन हर बार उन्हें धोखा ही मिला।
अपने जीवन के संघर्षों को साझा करते हुए कृष्णा जी ने यह स्पष्ट किया कि साहित्यिक क्षेत्र में भी उन्हें उपेक्षा का सामना करना पड़ा। उनके द्वारा लिखी गई रचनाओं को चुराने की कोशिश की गई, और उन्हें बार-बार साहित्यिक राजनीति का शिकार बनाया गया।
कृष्णा अग्निहोत्री की आत्मकथा एक संघर्ष की गाथा है, जो न केवल उनके जीवन की कठिनाइयों को दिखाती है, बल्कि समाज की उन संरचनाओं को भी उजागर करती है जो स्त्री को हमेशा एक मोहरे के रूप में देखते हैं। लेखिका का जीवन शोषण, धोखा, संघर्ष और त्रासदी का दर्पण है, और उनकी आत्मकथा समाज के लिए एक गहरी चेतावनी है।
समाप्ति में, कृष्णा जी की आत्मकथा यह संदेश देती है कि जीवन में संघर्ष का कोई अंत नहीं होता, और हर महिला के जीवन में केवल कष्ट ही नहीं, बल्कि अपने सम्मान की पुनः प्राप्ति का संघर्ष भी होता है। यही कारण है कि कृष्णा अग्निहोत्री की यह आत्मकथा न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा की कहानी है, बल्कि समग्र समाज के प्रति एक सशक्त आलोचना भी है।
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